वीरगन्ज ।
पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रावण महीना के देवों के देव महादेव भगवान शंकर के महीना मानल जाला। एह संबंध में पौराणिक कथा बा की जब सनत कुमार लोग महादेव से उहां के श्रावण महीना प्रिय होखे के कारण पूछल लोग तब महादेव भगवान शिव बतवनी की जब देवी सती अपना पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग कईली, ओहसे पहिले देवी सती महादेव के हर जन्म में पति के रूप में पावे के प्रण कईले रहली।
अपना दूसरका जन्म में देवी सती पार्वती के नाम से हिमाचल आ रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिहली। पार्वती युवावस्था के श्रावण महीना में निराहार रह के कठोर व्रत कईली आ शिव के प्रसन्न कर विवाह कईली, जेकरा बाद ही महादेव खातीर श्रावण महिना विशेष होगईल।
श्रावण में शिवशंकर के पूजा :- श्रावण के महीना में भगवान शंकर के विशेष रूप से पूजा कईल जाला। एह दौरान पूजा के शुरुआत महादेव के अभिषेक के साथे कईल जाला । अभिषेक में महादेव के जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान करावल जाला। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, ऑक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी के प्रसन्न कईल जाला। एकरा साथे भोग के रूप में धतूरा, भाँग आ श्रीफल महादेव के अर्पित कईल जाला।
महादेव के अभिषेक :- महादेव के अभिषेक करे के पीछे एगो पौराणिक कथा के उल्लेख बा की समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलला पर जब महादेव ओह विष के पान कईनी तब उहाँ के मूर्च्छित होगईनी। उनकर दशा देख के सभे देवी-देवता भयभीत होगईल रहे लोग आ उहां के होश में लेआवे खातीर निकट में जवन भी चीज उपलब्ध भईल, ओह से महादेव को स्नान करावे लागल लोग। ओकरा बाद से ही जल से लेके तमाम ओह चीज से महादेव के अभिषेक कईल जाला।
बेलपत्र आ समीपत्र :- भगवान शिव के भक्त प्रसन्न करे खातीर बेलपत्र आ समीपत्र चढ़ावेला लोग। एह संबंध में एगो पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषि लोग महादेव के प्रसन्न करे खातीर विधि परम पिता ब्रह्मा से पुछल लोग- तब ब्रह्मदेव बतवनी की महादेव सौ कमल चढ़ावे से जेतना प्रसन्न होखेमी, ओतना ही एगो नीलकमल चढ़ईला पर होखेनी। अईसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एगो बेलपत्र आ एक हजार बेलपत्र चढ़ावे के फल के बराबर एगो समीपत्र के महत्व होखेला।
बेलपत्र दिलावेला वरदान : बेलपत्र महादेव के प्रसन्न करे के सुलभ माध्यम ह। बेलपत्र के महत्व में एगो पौराणिक कथा के अनुसार एगो भील डाकू परिवार के पालन-पोषण करे के खातीर लोग के लूटल करत रहे। श्रावण महीना में एक दिन डाकू जंगल में राहगीरन सब के लूटे के इरादा से गईल। एक पूरा दिन-रात बीता देला के बाद भी कवनो शिकार ना मिलला पर डाकू बहुत परेशान होगईल।
एह दौरान डाकू जवना गाछ पर लुकाके बैठल रहे, उ बेल के गाछ रहे आ परेशान डाकू गाछ से पत्ता के तुर के नीचे फेंकत रहे। डाकू के सामने अचानक महादेव प्रकट होगईनी आ वरदान मांगे के कहनी। अचानक भईल शिव कृपा जनला पर डाकू के पता चलल की जहां उ बेलपत्र फेंकत रहे ओकरा नीचे शिवलिंग स्थापित बा। ओकरा बाद से बेलपत्र के महत्व आउर बढ़ गईल।
लेखिका : प्रिया मिश्रा