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महिनवारि, नारित्व से जुडल एगो प्राकृतिक उपहार !

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पर्सा । आज हम बात करेम अपना नारित्व से जुडल एगो प्राकृतिक उपहार स्त्री के महिनवारि के बारे मे साधारणतया महिनवारि १२ से १५ बर्ष के उमेर में सुरु होजाला। केहु केहु में आठ बर्ष से हीं महिनवारि के लक्षण देखा परे लागेला जवना के साधारण मानल जाला। महिनवारि के अन्तर लगभग २८ दिन के होखेला। महिनवारि ४५ से ५५ बर्ष के भितर ओराला। महिनवारि शारीरिक परिवर्तनमध्ये के एगो परिवर्तन हवे। महिनवारि प्राकृतिक सरसफाइ प्रक्रिया हवे। महिनवारि होखे के मतलब एगो लडकी हर महिना गर्भवती होखे खातीर तयार होखेली।

लेकीन आश्चर्य के बात ई बा जे हमनी के समाज महिनवारि के भेदभाव आ लाज शर्म के नजर से देखेला। आखिर काहे अईसन होला? महिनवारि त ईश्वर के देहल सब से सुंदर उपहार हवे जवना से एगो औरत के मातृत्व सुख के प्राप्ती होला आ सृष्टि के संचालन होला। एकरा बिना त जीवन के कल्पना भी सम्भव नईखे तब भी हमनी के समाज एकरा के काहे छुवाछुत के नजर से देखेला। ईहे मानसिकता के चलते हमनी के घर,परिवार आ समाज के औरत बेटी लोग विभिन्न घातक रोग,बेमारी के शिकार होजाला लोग। अपना शरिर के समस्या खुल के घर परिवार में बतावे से लाजाला लोग।

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का हमनी कबो अपना बेटी,बहिन से खुल के उनका महिनवारि के समस्या के बारे में बात करिले सन?? चाहे कबो उनका लगे सेनेटरी प्याड बा की नईखे ईहो जाने के कोसिस ना करिले सन। अभियो ८५% महिला लोग घर टुकडा कपडा प्रयोग में लेयावेला लोग केतना लोग गन्दा कपडा हीं ईस्तेमाल करलेवेला। जेकरा वजह से महिला लोग के शरिर में विभिन्न रोग के जन्म होखे लागेला। कबो त कवनो औरत घर में अकेले महिला रहेली आ महिनवारि के दर्द से छटपटात रहेली तबो उ घर के कवनो मर्द से आपन दर्द सांझा ना करे सकेली। काहे की हमनी के उ औरत के दर्द के आगे एगो शर्म लाज के दिवार खडा कर देले बानी सन।

लेकीन अब अपना मानसिकता के बदलीं अपना बेटी से बहिन से घर के औरत लोग से एह विषय पर खुल के बात करीं। काहे की जब तक रउवा खुल के बात ना करब तब तक असहीं हमनी के समाज के औरत लोग विभिन्न रोग से ग्रसित होके मरत रही लोग। त अपना सृष्टि के संचालिका के बचावे के चाहतानी त रउवा उनकर रक्षा करे के परि।

प्रिया मिश्रा “मन्नु”

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